माँ तुम बहोत याद आती हो


माँ तुम बहोत याद आती हो...


बच्चे अब बड़े  हो रहे हैं 
उनकी बढ़ती ज़रूरतों को पूरा करते, एक आदर्श माँ बन उनके कदम से कदम मिलती हूँ 
दिन भर की दौड़ धूप के बाद जब रात तक थक टूट जाती हूँ
माँ तुम बहोत याद आती हो 

कभी घर तो कभी बाहर के हालातों में उलझ कर 
उलझे धागों को देर तक सुलझाती हूँ और कभी खुद उन में ही उलझ जाती हूँ 
तब माँ तुम बहोत याद आती हो 

माँ  से बेहतर कोई दोस्त नहीं 
हर तरफ बस यही सुनती हूँ 
उस ममतामयी स्नेह को जब औरों पर बरसता पाती हूँ 
माँ तुम बहोत याद आती हो 

अब तो अरसे से भी ऊपर हुआ तुम्हे देखे महसूस किये... 
पर अब भी जब अपने गालों पे तुम्हारी हथेली की गरमाई अकस्मात् ही पाती हूँ 
माँ तुम बहोत याद आती हो 

मन में द्रढ़ विश्वास है तुम मेरे साथ हो 
मेरा सम्बल मेरा साहस बनकर 
जब जब सफलता को अपने कदमों में और खुद को आसमान में पाती हूँ 
माँ तुम बहोत याद आती हो 

कभी कभी लगता है कुछ रिश्ते मौजूद ना होकर भी 
ताउम्र दिलासा और दुलार देते हैं 
ऐसे ख़यालों से जब खुद को बहलाती हूँ 
माँ तुम बहोत याद आती हो 

उगते सूरज में, ढलती शाम में  
बदलते मौसमों  में और गर्दिशे अय्याम में 
बस मस्तमौला हो निडर चलती जाती हूँ 
पर जीवन के हर पल में माँ तुम बहोत याद आती हो!
माँ तुम बहोत याद आती हो 






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